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हिंदी सिनेमा के लिए मधुबाला उन नामों में से एक हैं, जिन्होंने हिंदी सिनेमा को संवारने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।
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फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में अनारकली का किरदार निभाने के बाद वह अनारकली के रूप में लोगों की नजरों में बस गईं थी मधुबाला ।
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भारतीय सिनेमा में मधुबाला को 1942 से 1960 के बीच एक से बढ़कर एक फिल्में करते देखा गया है। मधुबाला को उनकी एक्टिंग के साथ-साथ खूबसूरती के लिए भी याद किया जाता है।
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मधुबाला का जन्म दिल्ली में हुआ था, बचपन में उनका नाम मुमताज जहां देहलवी रखा गया था, उनके पिता पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा के रहने वाले थे।
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मधुबाला अपने माता-पिता की 11 संतानों में से पांचवीं थीं। शुरुआती दिनों में उनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे।
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महज 9 साल की उम्र में उनके पिता मुमताज को बॉम्बे के विभिन्न फिल्म स्टूडियो में ले जाने लगे। मुमताज को भी काम मिलने लगा और परिवार को गरीबी से कुछ राहत मिली।
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मधुबाला ने बचपन से ही सिनेमा के लिए काम करना शुरू कर दिया था, मधुबाला की पहली सफल फिल्म साल 1942 में बसंत थी। यह फिल्म काफी सफल रही और इसी फिल्म से मधुबाला को पहचान मिलने लगी।
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मधुबाला ने अपने करियर के दौरान सर्वोच्च मुकाम हासिल किया। यह मुकाम उस समय के मशहूर फिल्म निर्देशकों, सुपरस्टार अभिनेताओं और अभिनेत्रियों की फिल्मों में काम करके हासिल किया था।
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वर्ष 1950 के दौरान आने वाली हर तरह की फिल्मों में मधुबाला अपना जलवा बिखेरने में लगी रहीं। इसी साल उनकी फिल्म 'हास्ते आंसू' हिंदी फिल्म बनी, जिसे पहली बार भारतीय फिल्म बोर्ड से A सर्टिफिकेट मिला।